Tulsi Das Ka Jivan Parichay – गोस्वामी तुलसीदास बायोग्राफी

गोस्वामी तुलसीदास – भारत में ही जन्मे हिंदी साहित्य के महान विद्वान और राम चरित्रमानस के रचनाकार इनका गौरव ग्रंथ है। गोस्वामी तुलसीदास एक महान साधु संत थे वे भारत में रहे और ज्यादातर वाराणसी में अपना वक्त गुजारा था। दोस्तों आज की इस लेख में भारत के सबसे बड़े महान संत Tulsi Das Ka Jivan Parichay के बारे में जाने वाले हैं। आज के इस लेख में हम लोग महान लेखक और कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

आपको बता देगी गोस्वामी तुलसीदास जी को बाल्मीकि का अवतार माना जाता है उन्होंने संस्कृत में बहुत सारी रचनाएं की थी साथ ही उन्होंने हिंदी साहित्य में बहुत सारी दोहे और कविताएं की रचना की है। तुलसीदास जी की दोहा अभी बहुत ज्यादा पॉपुलर है और वह हमेशा लोगों को नहीं रहा सिखाने का काम करता है।

इसीलिए आज के इस लेख में हमने तुलसीदास जी का जीवन परिचय (Tulsidas Biography in Hindi) के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने वाले हैं। आज हम लोग Tulsidas Ji Ke Dohe तुलसीदास जी के दोहे, Tulasidas in Hindi, तुलसीदास जी का जीवन परिचय in Hindi, कबीरदास तुलसीदास का जीवन परिचय तथा गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में संपूर्ण जानकारी Hindi Biography साइट पर उपलब्ध होगी।

क्योंकि तुलसीदास एक बहुत बड़े जानकार मानते हैं और उन्होंने अपने जमाने में बड़े-बड़े काम किए थे। तुलसीदास जी के दोहे आज भी सबसे ज्यादा प्रचलित है। अगर पूरे भारतवर्ष में दोहे और कवि की बात किया जाए तो सभी कवियों में से कवियों का सरदार गोस्वामी तुलसीदास को कहा जाता है। साथ ही उन्होंने प्रभु श्री राम जी का बहुत ज्यादा गुणगान किया है और उन्हें प्रभु श्री राम जी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त भी हुआ है। आगे आपको कबीर दास तुलसीदास जी का पूरा जीवन परिचय के बारे में बताया जाएगा।

Table of Contents

Tulsi Das Ka Jivan Parichay | तुलसीदास का जीवन परिचय

असली नाम – रामबोला दुबे
उपनाम गोस्वामी तुलसीदास
जन्मतिथि 13 अगस्त 1532 ( 1589 विक्रम संवत)
जन्म स्थान राजपुर, बांदा, उत्तर प्रदेश (चित्रकूट)
पिता का नाम आत्माराम शुक्ल दुबे
माता का नाम हुलसी दुबे
भाई ज्ञात नहीं है
बहन ज्ञात नहीं है
पत्नी का नाम बुद्धिमती (रत्नावली)
बेटा का नाम तारक
मृत्यु तिथि 31 जुलाई 1623
शिक्षा वेद वेदांत दर्शन इतिहास पुराण
कार्य भगवान श्री राम की भक्ति करना
प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस उपलब्धि लोकमानस कवि
मृत्यु जगह वाराणसी के अस्सी घाट
कूल उम्र 91 वर्ष
नागरिकता भारतीय
धर्म हिंदू
जाति ब्राह्मण
वैवाहिक स्थिति विवाहित
शादी की तिथि 1583 मई-जून
उपाधि हिंदी साहित्य के महान संत कवि
प्रसिद्ध रचनाएँ रामचरितमानस

गोस्वामी तुलसीदास कौन थे?

Tulsi Das Ka Jivan Parichay
तुलसीदास का जीवन परिचय

13 अगस्त 1532 ( 1589 विक्रम संवत) को बांदा रायपुर उत्तर प्रदेश में गोस्वामी तुलसीदास का जन्म हुआ था। तुलसीदास जी शुरुआत से भगवान की भक्ति और उनकी गाथा करने में सामर्थ्य रहते थे।

ऐसा माना जाता है कि उन्होंने बचपन में जन्म लेने के तुरंत बाद ही राम नाम का जाप करने लगा था जिस कारण से उन्हें बचपन में ही रामबोला नाम रखा गया था। ऐसा कहा जाता है कि कबीर दास तुलसीदास जी जब जन्मे थे तो उनके 32 के 32 दांत उपलब्ध था। तुलसीदास जी का जन्म आभुक्त मूल नक्षत्र में होने के कारण उनके माता-पिता ने उनका त्याग कर दिया था और वह कहीं दूसरी जगह पालन पोषण किया गया था।

आपको बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में बहुत सारी तथ्यों को संदेह के रूप में देखा जाता है। क्योंकि उनसे संबंधित बहुत सारे तत्व हर किसी से मेल नहीं खाते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में कोई कुछ बताता है तो कोई कुछ बताता है यही कारण है कि कुछ बातें उन पर बहुत ज्यादा इधर-उधर देखा गया है।

अगर बात तुलसीदास जी के जन्म के किया जाए जो उनके जन्म को लेकर बहुत सारे तथ्य है कोई कहता है उनका दिन कहीं और हुआ है कोई कहता है उनका जन्म कहीं और हुआ है। लेकिन हकीकत ज्यादा लोगों को पता भी नहीं है क्योंकि उस समय के लोगों ने बहुत कम जानते थे। साथ ही आपको यह भी बता दें कि उस समय कोई सोशल मीडिया नाम की कोई चीज नहीं थी जिस कारण से लोग उन्हें याद रखें अच्छी तरह से।

उनके पालन पोषण की बात किया जाए तो इसमें भी दो तथ्य है कोई कहता है कि उसकी नानी मतलब कि तुलसीदास जी की मम्मी हुई थी कि मां उनका पालन पोषण 5 साल तक किया था। फिर जब तुलसी की मां की मृत्यु हो गई थी तब उन्होंने उन्हें छोड़कर चली गई थी। तब से वह एक अनाथ के रूप में जीवन देने लगा था और भिक्षा मांगकर अपना जीवन गुजर बसर करने लगा था।

एक तथ्य में ऐसा पाया जाता है कि उनका पालन पोषण उनके गुरु स्वामी नरहरिदास जी ने उनका पालन पोषण किया था और उन्हें अच्छी शिक्षा दीया।

आपको बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी एक ब्राह्मण थे और उन्होंने अपनी इच्छा के अनुसार भगवान श्री राम का बहुत ज्यादा गुणगान किया था और अंतिम वक्त तक भगवान श्रीराम को अपना भगवान के रूप में सबसे ज्यादा भक्ति करता था।

तुलसीदास जी का जन्म कब हुआ था?

तुलसी तुलसीदास जी का जन्म 13 अगस्त 1532 तथा 1589 विक्रम संवत में हुआ था। आपको बता दें कि इनका जन्म राजपुर, बांदा यूपी उत्तर प्रदेश में इनका जन्म हुआ था लेकिन इनके जन्म को लेकर बहुत सारी तथ्य सामने आता है।

आपको बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म स्थान एक विवादित सा हो गया है कुछ लोग मानते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म सोरों सुर क्षेत्र जो कि अभी कासगंज एटा उत्तर प्रदेश में आता है। लेकिन कुछ लोग इनका जन्म राजापुर जिला बांद्रा जो भी वर्तमान में चित्रकूट बन गया है इनका जन्म कहां हुआ था।

आपको यह भी बता दें कि कुछ विद्यमान तुलसीदास जी का जन्म राजापुर को मानने के पक्ष में है। क्योंकि बहुत सारे तथ्यों में ऐसा पाया गया है कि सबसे ज्यादा लोग तुलसीदास का जन्म स्थान राजापुर बांदा में ही माना जाता है जो कि अभी चित्रकूट के नाम से जाना जाता है।

यदि आप से कोई तुलसीदास जी का जन्म स्थान के बारे में पूछा तो आपको हमेशा उनका जन्म स्थान राजापुर जिला बांदा जो वर्तमान में चित्रकूट के नाम से जाना जाता है जो उत्तर प्रदेश में है।

बहुत सारी किताबों में उनका जन्म स्थान को अलग-अलग जगहों में बताया गया है। हालांकि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म स्थान के बारे में अगर परीक्षा में पूछा जाए तो आपको उन सभी स्थानों में जो भी स्थान आपको याद है वह आप भर सकते हैं और आपको वहां पूरा नंबर दिया जाएगा।

क्योंकि बहुत सारी किताबों में और खास करके Tulsidas Wikipedia in Hindi के अनुसार बहुत सारी जगहों पर उनका स्थान दर्शाया गया है। इसीलिए हम अपनी Tulsi Das Ka Jivan Parichay कि इस लेख में हमने गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म स्थान राजापुर, बांदा जो वर्तमान में चित्रकूट के नाम से जाना जाता है वही उनका सही जन्म स्थान है। हमने अपनी लेख में इन्हीं जन्म स्थान को सर्वमान्य माना है।

तुलसीदास जी के जिंदगी के बारे में

हाई एवं गोस्वामी तुलसीदास जी के जिंदगी के बारे में जानते हैं उन्होंने शुरुआती दौर से किन-किन चीजों के बारे में बहुत सारे कठिन काम किए हैं। सबसे पहली बात जब हम तुलसीदास जी का जन्म हुआ था तो उनका 32 के 32 दांत मुंह में लगे हुए थे। साथ ही जाओगे जन्मे तो उसके तुरंत ही बाद उन्होंने बोलने लगा था और सबसे पहले भगवान श्री राम का नाम लिया था। जिस कारण से उसका नाम भी बोले राम रखा गया था।

उनका जन्म एक बेहद ही खराब नक्षत्र में हुआ था साथ ही आपको यह भी बता दें कि उनके जन्म के पश्चात 4 या 6 दिन के बाद ही उनके पिता जी का मृत्यु हो गया था। जिस कारण से उनके माताजी उन्हें त्याग कर दिया था।

शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि जब उनके माता ने उनका त्याग कर दिया था तो उनके माता जी के माता जी मतलब कि तुलसीदास जी के नानी ने उनका पालन पोषण उस दिन तक किया था।

उसकी नानी की मृत्यु हो गई थी तो गोस्वामी तुलसीदास जी अकेले पड़ गए थे और उन्हें खाने पीने के लिए कुछ नहीं मिला था। जिस कारण से उन्होंने अपनी जीवन जीने के लिए लोगों के प्रति आश्रित होना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी जीवन लोगों से भिक्षा मांग कर पालन पोषण करने लगा था।

फिर उसके बाद तुलसीदास जी को रामसर पर रहने वाले श्री अनंत आनंद जी के शिष्य श्री रहरिया नांदरी नेहा राम बोलो को ढूंढ निकाला था और उसका पालन पोषण अपने से करने लगा था। उसके बाद से ही उसका नाम तुलसीदास रखा गया था। जो भी उस महर्षि को मिला था तो उनको उठाकर अयोध्या लेकर चले गए थे और उन्हें अच्छे संस्कार दिया खूब विद्या अध्ययन कराया।

जब संस्कार के समय बिना किसी के बताएं और बिना किसी के सिखाए गोस्वामी तुलसीदास जी ने गायत्री मन का शुद्ध एवं स्पष्ट पाठ किया तो यह देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए थे। उनकी एक छोटा सा बच्चा बिना कुछ बताए बिना कुछ सिखाएं गायत्री मन का स्पष्ट पढ़ना कोई छोटी बात नहीं है।

हिंदी सभी बातों को मिलाकर गोस्वामी तुलसीदास जी को एक अलग बालक के रूप में देखा जाने लगा था। उसके बाद से ही उन्हें अच्छी-अच्छी किताबें और अच्छी-अच्छी कविताएं सिखाने लगा था और फिर उसके बाद वह खुद ही इसे समझ कर पढ़ने लगा था।

गोस्वामी तुलसीदास की शिक्षा

जैसा की आप सभी को बताया गया है कि तुलसीदास जी को बाल्मीकि का अवतार माना गया है। बचपन का नाम राम बोला और बाद में उनके गुरु ने उनका नाम तुलसीदास रखा था इस कारण से तुलसीदास ज्यादा पॉपुलर हो गया था।

आपको यह भी बताते हैं कि जब तुलसीदास नरहरिदास के द्वारा अयोध्या में लाया गया था तो वह केवल 7 वर्ष का ही था। तुलसीदास जी ने अपनी पहली शिक्षा नरहरी दास जी के शरण में ही चालू किया था। इस बात का प्रमाण उन्होंने अपनी किताब रामचरितमानस में बताया है कि वे अपनी प्रथम शिक्षा अयोध्या में ही शुरू किया था।

वहां कुछ दिन रहने के बाद जब वह 14 से 16 साल के हो गया था। जब तुलसीदास जी ने अपनी 16 साल की उम्र को पार किया था तभी वह वाराणसी आ गए थे। तब के समय में और आज के समय में भी उत्तर प्रदेश में स्थित वाराणसी शहर को सबसे पवित्र शहर माना जाता है।

साथ ही आपको यह भी बताने की गोस्वामी तुलसीदास जी का शिक्षा यही पवित्र जगह वाराणसी पंचगंगा घाट पर अपने गुरु के साथ संस्कृत व्याकरण दर्शन हिंदी साहित्य वेद और ज्योतिष तथा सभी प्रकार की संस्कृत श्लोक की शिक्षा प्राप्त की थी।

तुलसीदास जी के परिवार के बारे में

Tulsidas Biography in Hindi

आइए हम लोग हम तुलसीदास जी के शादी और पत्नी और परिवार के बारे में बात करते हैं। जैसा कि आप सभी को पहले ही बताया गया है कि उनके माता-पिता ने त्याग कर दिए थे और उन्हें छोड़ दिया था।

जिस कारण से उनकी फैमिली में आप माता-पिता के अलावा सिर्फ उसकी पत्नी थी स्टॉप सबसे पहले आपको गोस्वामी तुलसीदास जी की शादी के बारे में बताते हैं आपको बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने बुद्धिमती से विवाह किया था। आपको यह भी बता दें कि उनका विवाह विक्रम संवत 1583 ईस्वी में मई-जून में विवाह किया गया था जिसका नाम मतलब कि उसकी पत्नी का नाम रत्नावली था।

आपको जैसा कि पता होगा कि वे अपनी पूरी शिक्षा वाराणसी में ही पूरी की थी। और उन्होंने अपनी पूरी शिक्षा पूरी करने के बाद अपना गांव लौट गया था और वहां अपना परिवार के साथ रहने लगा था और वही पर भगवान का पाठ सभी को सुनाया करता था।

तुलसीदास जी को अपनी पत्नी बहुत प्रेम था वह अपनी पत्नी से बहुत ज्यादा प्रेम किया करता था जिस कारण से उनकी पत्नी भी उन पर जान देती थी। गोस्वामी तुलसीदास जी की शादी रत्नावली के साथ हुआ था।

तुलसीदास जी का 1 पुत्र भी प्राप्त हुआ था जो उनका इकलौता पुत्र था जिसकी मृत्यु शैशवावस्था में ही हो गया था। एक दिन की बात है तुलसीदास जी की पत्नी तुलसीदास को बिना बताए अपने मायके चली गई थी। जिस कारण से तुलसीदास जी को बहुत ज्यादा दिक्कत हुआ था और वह पैदल ही अपना ससुराल चला गया था।

जैसे ही पत्नी ने उनको अपने घर में देखा तो उनकी पत्नी ने कहा कि मेरा शरीर तो हड्डी और मानसोका ही चाल है आप भगवान के लिए मेरी गंदी शरीर और अपने प्यार के लिए भगवान को ना छोड़े और अपनी भक्ति को करते रहें।

अपनी पत्नी की यह बात सुनकर उन्हें बहुत ही आश्चर्यचकित हुआ और वह तुरंत ही चले गए। आपको बता दें कि उसके बाद उन्होंने करीब 14 से 15 साल भारत की विभिन्न ने पवित्र स्थानों में घूमा करता था।

गोस्वामी तुलसीदास की शादी कब हुई थी?

तुलसीदास जी की शादी बुद्धिमती ( रत्नावली) से विक्रम संवत 1583 मैं मई जून का महीना में विवाह किया था।

गोस्वामी तुलसीदास का भगवान श्रीराम से मुलाकात

तुलसीदास जी बहुत दिनों से राजापुर में रहने के बाद उन्होंने कुछ ही दिन बाद हंसी चले गए थे फिर से फिर वहां उन्होंने सभी लोगों को राम कथा सुनाने में व्यस्त हो गए थे। एक दिन की बात है उन्होंने एक प्रीत के रूप में एक आवेश के रूप में उन्हें हनुमान से मिला था।

हनुमान जी से मिलकर तुलसीदास ने भगवान हनुमान से श्री राम के दर्शन होने की आग्रह किया था तभी हनुमान ने कहा कि वह शीघ्र ही तुम्हें दर्शन देंगे। इसके बाद तुलसीदास जी ने चित्रकूट की ओर चल पड़े थे चित्रकूट पहुंचने के बाद उन्होंने राम घाट पर अपना आसन कायम किया था।

चित्रकूट पर राम घाट पर पहुंचने के बाद उन्होंने आसन कायम करने के बाद उन्हें प्रदक्षिणा करने निकले थे जब उन्हें श्री राम का दर्शन हुआ। भगवान श्री राम एक घोड़े पर बैठकर बहुत सुंदर राजकुमार की तरह लग रहे थे और वह अपने धनुष बाण लिए जा रहे थे।

जब तुलसीदास ने घोड़े पर बैठकर किसी राजकुमार जैसा अपने हाथ में धनुष बाण लिए जाते हुए देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गए थे। क्योंकि वेद नहीं जाने सुंदर थे की पूरी धरती मां की चमक पड़ी थी क्योंकि भगवान श्रीराम के पैर जहां पर रहते धरती भी खुश होकर चमचमा रही थी।

लेकिन इतनी जल्दी बाजी में यह घटना बीड़ी है कि तुलसीदास जी को कुछ समझ ही नहीं आया था। फिर उसके बाद होने हनुमान जी से पूछा तो वह सारा बात बताया कि वह श्रीराम जी थे। यह सुनकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने आप पर पछतावा किया और उन्होंने कहा कि मैं इतना अच्छा मौका गवा दिया श्री राम जी मुझे दर्शन देने के लिए आए थे।

इस बात पर हनुमान जी ने कहा था कि तुम फालतू में चिंता मत करो श्री राम जी तुम्हें कल प्रातः दर्शन देंगे। उसके बाद तुम अपने आपको गर्व महसूस करने लगोगे सनावद 1607 में बुधवार के दिन जब उनके सामने भगवान श्री राम जी फिर से आए तो उन्हें बालक के रूप में आया तुलसीदास से कहा था कि हमें चंदन चाहिए क्या आप हमें चंदन दे सकते हैं।

गोस्वामी तुलसीदास जी का बचपन

Tulsi Das Ka Jivan Parichay की इसलिए हमें आप सभी को पता चल गया होगी गोस्वामी तुलसीदास जी का बचपन किस तरह से गुजरा था। सबसे पहले तो उनके घर वाले यानी कि उनके माता-पिता ही उन्हें त्याग दिए थे।

फिर तुलसीदास जी ने अपनी मां की मां के पास चला गया था और वहां उन्होंने करीब 5 साल तक जीवन व्यतीत किया जब तक कि उसकी नानी की मृत्यु न हो गए थे।

तुलसीदास जी के नानी की मृत्यु होने के बाद नहीं खाने पीने में बहुत दिक्कत हुआ करता था जिस कारण से वह एक जा मांगना शुरू कर दिया था। ऐसा करते करते हुए अपने गांव अपने शहर से बहुत दूर निकल गए थे फिर उसके बाद उसके गुरु ने उसे पकड़कर अपने साथ वाराणसी लेकर गए थे।

वाराणसी जाने के बाद उन्होंने अच्छी तरह से पालन पोषण हुआ और शिक्षा हासिल की करीब 15 से 16 वर्ष तक उन्होंने वाराणसी में पढ़ाई में गुजार दिया था। उसके बाद फिर से भी अपनी गांव की तरफ चली आए थे वहां उन्होंने अपना परिवार बसाया शादी की एक बेटा हुआ वह भी मृत्यु हो गया था।

उसके बाद उसकी पत्नी मायके चल गई थी जिसके कारण वह भी गया था लेकिन पत्नी ने उन्हें फिर से वापस भेज दिया था। उसके बाद से वह पुनः वाराणसी चले गया और भगवान श्री राम की कथा सुनाने लगे थे।

रामचरितमानस महाकाव्य की रचना

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की लिखने की तिथि 1631 को चालू कर दिया था। रामचरितमानस पूरा लिखने में उन्हें करीब करीब 2 साल 7 महीने और 26 दिन लगे थे। उन्होंने रामचरितमानस की रचना अयोध्या में नवमी से लिखना शुरू किया था। आपको बता दें कि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस 1631 से लिखना चालू किया था और उन्हें पूरा करने में 1633 हो गया था।

तुलसीदास की महत्वपूर्ण रचनाएं कौन-कौन सी है?

गोस्वामी तुलसीदास जी की रचनाएं लगभग 12 रचनाएं सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। जैसे तुलसीदास जी ने अपने हाथों से लिखा करते थे। क्योंकि तुलसीदास जी भगवान की भक्ति करने के साथ-साथ एक महान हास्य और हिंदी साहित्य के कवि थे। जिन्होंने बहुत अच्छे-अच्छे दोहे और बहुत अच्छे-अच्छे किताबों की रचना की थी।

उन्होंने करीब करीब 12 प्रसिद्ध किताबें की रचना की थी जिन्हें तुलसीदास जी के द्वारा दो भागों में बांटा गया है। मैं पहला भाग का नाम अवधी है और दूसरा भाग का नाम ब्रज है।

आइए आप जानती हैं कि तुलसीदास जी ने अपनी 12 किताबों को 2 समूह में विभाजित करके घर के किन किन पुस्तकों को किन किन समूह में रखा है।

  • अवधि – इस समूह में उन्होंने रामचरितमानस, रामलला, बारवाई रामायण, मंगल, रामाज्ञ प्रश्न और पर्वती मंगल पुस्तकों को इस समूह में शामिल किया है।
  • ब्रिज – इस समूह में तुलसीदास जी ने अपनी साहित्य वाली पुस्तकों को शामिल किया है जैसे कि गीतावली, कृष्ण गीतावली, दोहावली और विनायक पत्रिका जैसी किताबों को शामिल क्या है।

तुलसीदास के जीवन के प्रमुख कार्य

तुलसीदास जी के 12 प्रसिद्ध किताबों के अलावा और भी कुछ रचनाएं हैं जो कि सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। उसमें से बहुत सारी किताबें हनुमान जी के ऊपर है जिसे भारत में बहुत ज्यादा प्रचलित माना जाता है।

आइए अब हम जानते हैं कि तुलसीदास जी के 12 प्रसिद्ध किताबों में से और भी कौन सी रचना हैं जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है और हनुमान जी के ऊपर लिखा गया।

  • हनुमान चालीसा
  • संकटमोचन हनुमानाष्टक
  • तुलसी सतसई
  • हनुमान बाहुका

गोस्वामी तुलसीदास जी का सबसे प्रसिद्ध रचनाएं रामचरितमानस के अलावा और भी 5 रचनाएं हैं जो भारत समेत पूरे विश्व में अभी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। आगे हम लोग गोस्वामी तुलसीदास जी के रामचरितमानस के अलावा और भी पांच कृतियों के बारे में जानने वाले हैं।

  • दोहावली
  • कवितावली
  • गीतावली
  • कृष्णावली
  • विनय पत्रिका
तुलसीदास जयंती कब मनाया जाता है?

आइए आप जानते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती कब मनाई जाती है। क्योंकि 1 दिन बड़े शांत होने के कारण अभी भी बहुत सारे संतों के अलावा हिंदू धर्म से जुड़े लोगों ने तुलसीदास जयंती बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

तुलसीदास जयंती हिंदू कैलेंडर के अनुसार सरवन महीने मैं कृष्ण पक्ष के साथ में दिन तुलसीदास जयंती मनाया जाता है हालांकि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक तुलसीदास जयंती सभी 2017 से लेकर 2030 तक अगस्त महीने में होने की संभावना है।

तुलसीदास जी का मृत्यु कब हुई थी?

1623 मैं गंगा नदी के अस्सी घाट के किनारे उनकी मृत्यु हो गई थी। लेकिन अभी भी तुलसीदास जी की रचनाएं बहुत ज्यादा चर्चित है। और उम्मीद है कि आगे भी यह सभी रचनाएं दोहे और किताबें हमेशा चर्चित ही रहेगी।

गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे
तुलसीदास जी के बारे में

आज की इस लेख में हम लोग तुलसीदास जी के जीवन परिचय तथा Tulsi Das Ka Jivan Parichayगोस्वामी तुलसीदास बायोग्राफी के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त किए हैं। यदि अभी भी आपको तुलसीदास जी के बारे में कुछ और जानकारी चाहिए तो हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करें।

अगर तुलसीदास जी का जीवन परिचय कि इस लेख में आपको कुछ कमियां नजर आती है तो कृपया हमें हमारी कांटेक्ट ऑफ पेज पर जाकर हमें बताने का कृतार्थ करें। और यदि आप तुलसीदास जी का जीवन परिचय में कुछ और जोड़ना चाहते हैं, तो कृपया हमें जरूर बताएं हम जल्द ही इसलिए को अपडेट करने की कोशिश करेंगे। Hindi Biography साइट पर विजिट करने के लिए आपका धन्यवाद।

FAQ

  1. तुलसीदास जी का जन्म कब हुआ था?

    तुलसीदास जी का जन्म 1532 में हुआ था।

  2. तुलसीदास जी का जन्म स्थान क्या है?

    तुलसीदास जी का जन्म स्थान राजापुर, बांका उत्तर प्रदेश से लेकिन वर्तमान में भी वह जगह चित्रकूट के नाम से जाना जाता है।

  3. तुलसीदास जी का बचपन का असली नाम क्या था?

    तुलसीदास जी का बचपन में उसका नाम रामबोला दुबे था।

  4. तुलसीदास जी का पूरा नाम क्या था?

    तुलसीदास जी का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास था और उनका यह नाम बाद में उनके गुरु के द्वारा रखा गया था।

  5. तुलसीदास जी का जाति क्या था?

    तुलसीदास जी की जाति सरूपरेन ब्राह्मण था।

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